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हैदराबाद पुलिस का जन भावना के अनुरूप कदम

हैदराबाद पुलिस का जन भावना के अनुरूप कदम 

(डॉ राज कुमार सिंह)

निर्भया मर्डर केस को सात साल हो गये ,अभी भी आरोपियों को सजा का देश को इंतजार है। इसी तरह भारतवर्ष में हजारों दुर्दांत बलात्कारी हत्यारे या तो फरार हैं या जेल मैं है परंतु उन्हें लंबी न्यायिक प्रक्रिया के कारण कड़ी सजा नहीं मिल सकी है।आज प्रातः भारत में आंदोलन और रोष का कारण बनी जानवरों की डॉक्टर दिशा सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में एक राहत भरी खबर आयी है।हैदराबाद में क्राइम स्क्रीन को रीक्रिएट करने के दौरान पुलिस के असलहे छीनकर भागने की कोशिश में चारों आरोपी मार गिराये गये।इस खबर ने पूरे देश में आक्रोशित लोगों के दिल को सुकून दिया है। पुलिस मुठभेड़ देशवासियों की भावना के अनुरूप जरूर था।आरोपियों को सजा मिल गयी।

देशभर में यह मांग उठ रही है कि बलात्कार व हत्या जैसे जघन्य मामले में कठोरतम सजा का प्रावधान होना चाहिये। संसद सदस्य जया बच्चन ने तो ऐसे लोगों को सरेआम सजा देने की बात कही थी। इस मामले में सदन में जमकर हंगामा हुआ तथा संगठनों,नागरिकों ने केंद्र व राज्य सरकारों को आड़े हाथों लिया। वर्तमान में जो व्यवस्था है उसमे लंबी न्यायिक प्रक्रिया के कारण अधिकतर मामलों में आरोपियों के छूट जाने की खबरें मिलती रहती हैं। आरोपी, उसके परिजन तथा साथी भुक्तभोगी महिला व उसके परिवार पर दबाव बनाते हैं। कुछ मामलों में भुक्तभोगी न्यायिक प्रक्रिया में होने वाले खर्च और भागदौड़ को सहन नहीं कर पाते।परिणाम स्वरूप आरोपी बरी हो जाते हैं। 

पुलिस के इस निर्णय को सही नहीं ठहराया जा सकता है।लेकिन इस मुठभेड़ में अपराधियों को सजा जन भावना के अनुरूप तो रही है। हैदराबाद में स्कूल के छोटी बच्चियों को जब इस खबर का।पता चला तो उन्होंने पुलिस की जय- पुलिस की जय के नारे लगाये।मुठभेड़ स्थल पर पुलिस पर फूल बरसाये गये। देशभर में यही माहौल है। इस मुठभेड़ को लेकर भी सवाल उठना लाज़मी है।सबसे बड़े दुःख की बात यह है कि हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था कब सुधरेगी।न्यायालयों में ऐसे मामलों का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिये। विशेष अदालतें बनायी जानी चाहिये जो सिर्फ बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य मामलों को ही सुने। यदि न्यायालय में विलंब होगा तो जन भावना भड़केगी ही और लोग खुद हथियार उठाने पर मजबूर होंगे। लोगों में पुलिस भी शामिल है।

#rajkumarsingh

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