वाराणसी,7 सितंबर 2018।2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौतियों बढ़ती ही जा रही हैं। इन चुनौतियों से कैसे निपटेगी मोदी सरकार।महंगाई, बेरोजगारी, वेतन/पेंशन में संशोधन,मजदूरों किसानों की अपनी-अपनी मांगे तो थी ही एससी एसटी एक्ट में संशोधन कर भाजपा ने अपने मूल वोटरों व समर्थकों को भी छेड़ दिया है।बिना किसी नेतृत्व के सवर्णों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू कर अपने तेवर दिखा दिए। विपक्षियों ने सरकार की इन मुद्दों पर घेराबंदी तेज़ कर दिया है। सवर्णों के कल भारत बंद की सफलता तथा महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा 10 सितम्बर को घोषित भारत बंद जनता के गुस्से को जरूर बढ़ाएगा। आरक्षण के मुद्दे पर सरकार के नुमाइंदों का जनता ने विरोध शुरू कर दिया है। स्थिति यह है कि निरुत्तर नेता भीड़ में जाने से बच रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के ऊपर तो जूते तक उछाले गए हैं।
मोदी सरकार के विरुद्ध जो प्रमुख मुद्दे जो मुद्दे चुनौती बन गए है उनमें प्रमुख ये है-
1-एससी/एसटी एक्ट के विरुद्ध सवर्णों व पिछड़ों का विरोध।
2-पेट्रोल-डीजल का दाम सातवें आसमान पर।रुपये की गिरती कीमत।
3-राफेल डील को लेकर सवाल।
4-कश्मीर घाटी में अशांति।
5-कालेधन पर सरकार फेल।
6-बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार बैकफुट पर।
7-नोटबंदी से कोई फायदा नहीं।
8-भगवान भरोसे नमामि गंगे परियोजना।
9-आदर्श ग्राम योजना फेल।
10-देश की आंतरिक सुरक्षा भी नहीं सुधरी।
11-नेपाल से रिश्ते खराब।
12-किसानों का आंदोलन।
13-कर्मचारी संगठनों की मांग।
भारतीय जनता पार्टी आज देश का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है।पार्टी के पास सर्वाधिक सांसद तथा सबसे अधिक प्रदेशों में सरकार है।ऐसे में अब यह देखना होगा कि भाजपा 2019 लोक सभा तथा आगामी विधानसभा चुनावों में अपने ग्राफ़ को बरकरार रख पाती है या नहीं। भाजपा के रणनीतिकार इन मुद्दों पर जनता को क्या जवाब देंगे।
#What is the disposal of these 13 challenges to Modi government?
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बी जे पी के साथ (13)तेरह का अंक फिर टकराया है । अटल जी की 13 दिनों 13 महीने की सरकार लोगों को अब भी याद है । वर्ष 2013 से युद्ध स्तर के प्रयास का परिणाम 2014 में मिली सत्ता , किन्तु 13 का यह अंक इस सत्ताधारी पार्टी का पीछा ही नहीं छोड़ना चाहता । अब इसे संयोग की कहा जाएगा कि इस बार भी अटल जी की 13वीं के दिन से ही इस पार्टी पर पुनः संकट के बादल मँडराने लगे हैं । यह अनायास ही नही है कि आपने भी इनकी 13 चुनौतियों की ओर इशारा किया है । इन महत्वपूर्ण 13 बिंदुओं पर उठाए गए मुद्दों का जवाब इस पार्टी सहित संगठन, संघ एवं इसके समस्त सहयोगी दलों को नहीं सूझ रहा । ऐसे में देश भक्तों , सभ्यता व संस्कृति के पहरुओं सहित कहाँ धारा 370 हटाए जाने के समर्थकों को धारा 377 हटाकर , समाज में समलैगिकता की नैतिकता पर नई बहस छिड़ गई है । जो इस समय कोढ़ में खाज का काम कर रही है । वहीं विपक्षियों सहित काँग्रेस की चुप्पी व राहुल गाँधी की कैलाश पर्वत की यात्रा के निहितार्थ तलाशे जा रहे है ।
ReplyDeleteए, क्यू , वारसी (पत्रकार)
Deleteगाँव, गरीब,किसान, नौजवान, सब परेशान, देश मे विचित्र सा माहौल बना हुआ है।लोग समझ नहीं पा रहे,आखिर करें तो क्या करें...?
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