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Showing posts from 2017

करिश्माई व्यक्तित्व के धनी थे बाबू भूलन सिंह

*महान व्यक्तित्व, महान कर्म और उच्च विचारधारा ही बाबू साहब की वास्तविक पहचान थी छोटे से किसान परिवार से निकलकर पूर्वांचल में पत्रकारिता व सहकारिता की अलौकिक मशाल जलाने वाले स्वर्गीय बाबू भूलन सिंह आज होते तो शायद यही कहते “मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया”। (डा. राज कुमार सिंह ) ‘बाबू साहब ’ के नाम से विख्यात भूलन सिंह ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे कि जो भी उनके संपर्क में आता, वह उनसे प्रभावित हुए बिना न रहता था। यह कहना अप्रासंगिक न होगा कि वे एक साधारण परिवार में जन्मे असाधारण व्यक्ति थे।महान व्यक्तित्व, महान कर्म और उच्च विचारधारा ही बाबू भूलन सिंह की वास्तविक पहचान थी। पत्रकारिता,सहकारिता तथा राजनीति के क्षेत्र में अलौकिक मशाल जलाने वाले बाबू भूलन सिंह आज 24 वीं पुण्यतिथि पर याद आ रहे है।मशहूर शायर इकबाल ने लिखा है “बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा” सच है यह। बाबू भूलन सिंह  छोटे से किसान परिवार से निकलकर पूर्वांचल में पत्रकारिता व सहकारिता की अलौकिक मशाल जलाने वाले स्वर्गीय बाबू भूलन सिंह आज होते तो शा...

Dr Raj Kumar Singh

JANWARTA

आर्थिक मुद्दे पर सरकार को आत्ममंथन की आवश्यकता

आर्थिक मुद्दे पर सरकार को आत्ममंथन की आवश्यकता है।जीडीपी घट रही है,बेरोजगारी बढ़ रही है,किसान मर रहे है, एनपीए बढ़ रहा है,उत्पादन और निवेश घट रहा है,खुदरा व्यापार में वृद्धि ...

जनता को मोदी का साथ पसंद है…

डा राज कुमार सिंह विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रचण्ड समर्थन देकर यह सिद्ध कर दिया है कि उसे मोदी पसंद है। उत्तर प्रदेश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना लिया है और समाजवादी पार्टी के शासन का अंत कर दिया । भाजपा को मिला ऐतिहासिक बहुमत यह सिद्ध करता है कि उत्तर प्रदेश ने केंद्र सरकार के कामों पर तो मुहर लगा ही दिया साथ हीं उत्तर प्रदेश में भी जनता विकास चाहती है । जनता केंद्र के साथ चलना चाहती है , जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है , उन पर विश्वास है। जनता  सपा  सरकार के गुंडाराज  से त्रस्त थी  तभी तो  कांग्रेस के साथ के बावजूद  सपा का समर्थन नहीं किया। उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत ऐतिहासिक है यह जीत राम मंदिर आंदोलन के बाद बने माहौल के विपरीत सबसे बड़ी जीत है । चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की भारी मेहनत रंग लायी।प्रधानमंत्री वाराणसी की सड़कों पर 3 दिन तक घूमते रहे। अमित शाह ने सैकड़ों जनसभाएं रोड शो किए। जनता को प्रधानमंत्री भा गये और लोकसभा चुनाव क...

गूँजते रहेंगे धर्मशील जी के ठहाके

(डा राज कुमार सिंह) गुरूजी के ठहाके बनारसीपन की मिशाल थे। ऐसे ठहाके की कोई भी ठहर जाए और कुछ पल बाद ठहाके में शामिल हो जाए। कचहरी हो या कवि सम्मलेन का मंच ,अख़बार का दफ्तर हो या चौराहा ,चट्टी धर्मशील जी जहा भी जाते थे छा जाते थे। क्या कटाक्ष लिखते थे क्या व्यंग लिखते थे। स्वयं में काशी की  विकिपीडिया थे। सभी काशिवाशियों को शोकसंतप्त कर दिया। प्रत्येक की व्यक्तिगत क्षति हुइ है। धर्मशील चतुर्वेदी धर्मशील जी हिंदी और संस्कृत साहित्य मर्मज्ञ और महामना मदन मोहन मालवीय के सहयोगी रहे पंडित सीता राम चतुर्वेदी के छोटे पुत्र थे। इनके बड़े भाई जयशील चतुर्वेदी काफी पहले निधन हो चुका है। बहन जयशीला चतुर्वेदी एक विद्यालय की संचालिका हैं। इनकी भांजी प्रो कल्पलता पांडेय महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में चीफ प्राक्टर रहीं। धर्मशील चतुर्वेदी काशी की गंगा जमुनी तहजीब के जिंदा व्यक्तित्व का नाम है। ऐसा खुशदिल व्यक्तित्व जिसने पूरी तरह से बनारसीपन को जीया, वह अब लोगों को हंसाते हंसाते रुला गया। धर्मशील जी के बारे में जितना भी कहा जाए सूरज को दीपक दिखाने सरीखा होगा। बेलौस अपनी बात रखने वाले थे धर...

कुछ खास नहीं रहा ,आम-रेल बजट

(डा राज कुमार सिंह ) वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में ऐतिहासिक बजट पेश किया।बजट ऐतिहासिक इस मायने में था क्योंकि दो परंपराएं टूटी, एक बजट समय से पूर्व 1 फरवरी को ही प्रस्तुत कर दिया गया, दूसरा इसमें रेल बजट को भी समाहित कर लिया गया। रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ऐसे मंत्री बन गए हैं जिन्होंने बजट नहीं दिया।नोट बंदी में धक्के खाने के बावजूद सरकार के साथ खड़ी जनता को बजट में उम्मीद के मुताबिक नहीं मिला। साढ़े 12 हजार रुपए का टैक्स छूट देकर सरकार ने राहत पहुंचाई पर यह राहत ऊंट के मुंह में जीरा ही है। Add caption किसानों के लिए बजट में सरकार ने काफी कुछ देने का दावा किया है परंतु फसलों के मूल्य पर कोई ठोस बात नहीं की। देश के किसानों को यदि सिर्फ उनके फसलों का उचित मूल्य मिल जाए तो उनकी गरीबी व समस्याएं स्वयं दूर हो सकती हैं।सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए था। कृषि ऋण के लिए ऐतिहासिक रूप से 10 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। 21.47 लाख करोड़ रुपये  व्यय के बजट से विकास का पहिया तेज अवश्य होगा परंतु नोटबंदी से हुए नुकसान की भरपाई यह बजट कर ...