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Showing posts from 2012

ALL INDIA JOURNALIST ASSOCIATION -FUNCTION

आल इंडिया जर्नलिस्ट असोसिएशन द्वारा वाराणसी के मूर्धन्य  पत्रकारों का किया गया सम्मान .जिनमे दैनिक सन्मार्ग के संपादक आनंद बहादुर सिंह,जन्संदेश टाइम्स के संपादक आशीष बागची ,सहारा के संपादक स्नेह रंजन,वरिस्थ पत्रकार व कार्टूनिस्ट जगत शर्मा,जी न्यूज़ के विकाश कौशिक प्रमुख रूप से शामिल थे .अध्यक्ष डॉ राज कुमार  सिंह ने सभी को स्मृति चिन्ह तथा अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया.                                                                                                                  अध्यक्ष डॉ राज कुमार सिंह                   वयोवृद्ध संपादक डॉ आनंद बहादुर सिंह का सम्मान करते डॉ राज कुमार सिंह .           ...

JANVARTA -14AUG 12,1st Page

60 फीसद ग्रामीण करते हैं 35 रुपये पर गुजर-बसर

  60  फीसद ग्रामीण करते हैं 35 रुपये पर गुजर-बसर भारत की 60 फीसद ग्रामीण आबादी 35 रुपये प्रति दिन और लगभग इतने ही लोग शहर में 66 रुपये प्रतिदिन के खर्च पर गुजर-बसर करते हैं। यह बात आय और व्यय से जुड़े सरकारी सर्वेक्षण में कही गई। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन [एनएसएसओ] के महानिदेशक जे दास ने अपनी रपट के संबंध में लिखा है कि औसतन प्रति व्यक्ति दैनिक व्यय के लिहाज से ग्रामीण इलाकों में यह करीब 35 रुपये और शहरी इलाकों में 66 रुपये बैठता है। करीब 60 फीसद आबादी शहरी और ग्रामीण इलाकों में इतने खर्च अथवा इससे कम पर जीवन निर्वाह करती है। एनएसएसओ के जुलाई 2009 और जून 2010 के दौरान हुए 66वें सर्वेक्षण के मुताबिक अखिल भारतीय औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय [एमपीसीई] का स्तर ग्रामीण इलाकों में 1054 रुपये और शहरी इलाकों में 1984 रुपये रहा है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में सबसे निचले पायदान पर 10 फीसद आबादी ऐसी भी है जो 15 रुपये प्रति दिन पर जीवन यापन कर रही है जबकि शहरी इलाके में यह आंकड़ा इससे मामूली बेहतर 20 रुपये प्रति दिन का है। इसमें कहा गया है क...

star chanki in varanasi

jj

Janvarta-8th july 12

वाह रे हिदुस्तान! झूठी आन, बान, शान पर करेंगे 55000 करोड़ कुर्बान

वाह रे हिदुस्तान! झूठी आन, बान, शान पर करेंगे 55000 करोड़ कुर्बान एक तरफ जहां भारतीय अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है पैसों की तंगी विकास में बाधा बन रही है, इसके बावजूद ब्रिक्स सम्मेलन में भारत पैसा लुटाने से बाज नहीं आ रहा है। मेक्सिको में चल रहे इस सम्मेलन में भारत की तरफ से आईएमएफ को 10 अरब डॉलर (55 हजार करोड़ रुपये) दिए जाने की बात सामने आई है। भारत ये पैसा दुनिया में अपनी कमजोर अर्थव्यवस्था के बावजूद झूठी शान बनाए रखने के लिए दे रहा है।  दुनिया की पांच तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल भारत ब्रिक्स का अहम सदस्य है। इसके नाते अपनी साख बचाए रखने के लिए आईएमएफ को इतना पैसा दे रहा है। भारत की ओर से ये घोषणा ऐसे समय की गई है जब भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की ओर बढ़ रही है। निवेश घट रहा है। नौकरियां सीमित होती जा रही है। राजकोषीय घाटे का दबाव मजबूत हो रहा है। ये सारी स्थितियां भारत के इस कदम को गलत साबित करने के लिए काफी है।  अब सवाल ये उठता है कि अगर भारत इसी 55000 करोड़ रुपये को भारतीय अर्थव्यवस्था में लगाता, तो इसका परिणाम क्या होता? सबसे अहम बदलाव तो भारती...

नए समीकरण

अपनी  सरकार  की  तीसरी  वर्षगांठ  पर  यूपीए  -2  यह  संदेश देने  में  सफल  रहा  है  कि  उसकी  राजनीतिक  दशा  अभी  उतनी बुरी  नहीं  हुई  है  ,  जितनी  बाहरी  हलकों  में  मानी  जा  रही  है। सरकार  के  रिपोर्ट  कार्ड  में  कोई  दम  नहीं  था।  उसके  दो महत्वपूर्ण  घटकों  -  तृणमूल  कांग्रेस  और  डीएमके  के  शीर्ष  नेता भी  अपनी  खुली  या  छिपी  नाराजगी  जताते  हुए  मुख्य आयोजन  से  अनुपस्थित  रहे।  लेकिन  यूपीए  से  बाहर  के  कुछ बड़े  उत्तर  भारतीय  नेताओं  की  इसमें  मौजूदगी  से  अटकलों  की दिशा  बदल  गई  है।  मुलायम  सिंह  यादव  ,  लालू  प्रसाद  यादव और  र...