नई दिल्ली। भारतीय प्रेस परिषद [पीसीआई] के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काट्जू ने कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की वकालत करने के लिए अधिवक्ता प्रशांत भूषण की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह भारत के अन्य हिस्सों में अलगाववाद को प्रोत्साहन देगा।
हालाकि, उन्होंने श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट स्थित चैंबर में घुसकर भूषण के साथ मारपीट करने की घटना की निंदा की।
शेखर गुप्ता से एनडीटीवी के 'वाक द टॉक' कार्यक्रम में कार्यक्रम में बातचीत में न्यायमूर्ति काट्जू ने कहा, 'हमें एकजुट रहना है। मैं भूषण के यह कहने से सहमत नहीं हूं कि आप अलग हो सकते हैं। मैं इन सबको स्वीकार नहीं करता हूं।'
न्यायमूर्ति काट्जू को हाल में ही पीसीआई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
उनसे भूषण द्वारा हाल में वाराणसी में व्यक्त किए गए उस विचार पर टिप्पणी करने को कहा गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर लोगों को भारत का हिस्सा बने रहने के लिए समझाने के प्रयास विफल रहते हैं तो कश्मीर में [जनमत संग्रह] कराया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति काट्जू ने कहा कि आप जानते हैं कि यह देश प्रवासियों का है। आपको निश्चित तौर पर समझना चाहिए कि भारत क्या है। भारत में रहने वाले 92 से 93 फीसदी लोग प्रवासियों के वंशज हैं, जिसमें आप और मैं भी शामिल हूं। हम उत्तरी अमेरिका की तरह हैं। और चूंकि हम प्रवासियों के देश हैं इसलिए काफी विविधता है और इसलिए हमें एक-दूसरे के प्रति काफी सहिष्णु होना चाहिए और साथ ही हमें निश्चित तौर पर एकजुट होना चाहिए।
काट्जू हाल में ही सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह कहना कि आप अलग हो सकते हैं और आप हो सकते हैं। अब्राहम लिंकन ने अमेरिका के दक्षिणी राज्यों को अलग होने की अनुमति दी। अन्यथा, आप देखें कि भारत में कितनी विविधता है। अगर आप कश्मीर को अलग होने की अनुमति देंगे तो मिजोरम अलग होगा, तमिलनाडु अलग होगा और सब अलग होने की बात करने लगेंगे। हमें निश्चित तौर पर एकजुट रहना चाहिए। आपको निश्चित तौर पर समझना चाहिए कि भारत क्या है। उन्होंने कहा कि अगर लोगों के बीच विवाद है तो विवादों के समाधान का लोकतात्रिक तरीका होना चाहिए।
नगालैंड और असम के बीच सीमा विवाद का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति काट्जू ने कहा कि कुशल मध्यस्थ नियुक्त किए गए और नगाओं से उन्हें प्रतिक्रिया मिली कि उन्हें पहली बार एहसास हो रहा है कि उनकी बातें सुनी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति सुन रहा है। उम्मीद करता हूं कि आम सहमति बन सकती है।
भूषण पर दक्षिणपंथी संगठन के तीन कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हमले पर न्यायमूर्ति काट्जू ने कहा कि यह गलत था। उन्होंने कहा कि उनपर हमला गलत था। आपको हिंसक कृत्य नहीं करना चाहिए। मैं हिंसक कृत्य को स्वीकार नहीं करता हूं। उन्होंने कहा कि मैं सभी तरह की हिंसा की निंदा करता हूं लेकिन इसपर भी निश्चित तौर पर विचार किया जाना चाहिए। देखिए अगर आप कहेंगे कि यह अलग हो सकता है या वह अलग हो सकता है तो इसका अंत कहा हैं। अगर आप कह सकते हैं कि कश्मीर अलग हो सकता है, तब कल को नगा कहेंगे हम अलग हो सकते हैं। मिजो कहेंगे कि हम भी अलग होना चाहते हैं। तमिल भी कहेंगे कि हम अलग होना चाहते हैं।
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