शिव का शाब्दिक अर्थ है- कल्याणकारी, सुखदाता, मंगलदायक। वस्तुत: ˜शिव "परमात्मा या ब्रह्म का ही नामांतरण है, जो सृष्टि का सृजन, पालन और संहार अपनी त्रिविभूतियों (त्रिदेव) के माध्यम से करता है। विश्वेश्वर संहिता में ऋषि-मुनियों के पूछने पर सूतजी उन्हें शिव-तत्व का रहस्य बताते हुए कहते हैं, एकमात्र भगवान शिव ही ब्रह्मरूप होने के कारण ˜निष्कलंक (निरंकार) और रूपवान होने से साकार भी हैं। इस तिथि को शिव-शक्ति के महामिलन की तिथि बताया गया है।महाशिवरात्रि को शिव-पार्वती के विवाहोत्सव के दिन के रूप में मनाये जाने के पौराणिक उल्लेख मिलते हैं। देव देवेश्वर भगवान शिवजी के निगरुणनि राकर स्वरूप की पूजा शिवलिंग के माध्यम से होती है। ईशान संहिता में उल्लेख मिलता है कि महाशिवरात्रि को अर्थात फाल्गुन, कृष्ण चतुर्दशी की अर्धरात्रि को शिवलिंग सर्वप्रथम प्रकट हुआ था। हमारे धर्म ग्रंथों में बारह ज्योतिर्लिगों की महिमा का उल्लेख है। मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिगों के स्मरण मात्र से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है और आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिग देश के अलग-अलग...