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Showing posts from May, 2020

याद किया जाएगा कोरोना काल:"जब बंद थे मंदिर- मस्जिद और खुली थी मधुशाला"

(डॉ राज कुमार सिंह) महामारी कोरोना ने घोर कलयुग का एहसास करा दिया। बचपन से सुनता आया था "रामचंद्र कह गए सिया से  ऐसा कलयुग आएगा,हंस चुंगेगा दाना और कौवा मोती खाएगा"। इस समय पता नही हंस को मोती और कौवे को दाना मिला होगा या नही, जब इंसान ही भूख से तड़पकर दम तोड़ रहा हो,तो सृष्टि के बाकी जीवों की क्या दशा हो रही होगी।दुःखद यह है कि वाराणसी में एक व्यक्ति का भूखे कुत्तों ने शिकार कर डाला।कुत्ते भूख से बिलबिलाए थे तथा पेट की आग बुझाने को इंसान पर ही टूट पड़े। इस तरह के समाचार अन्य स्थानों से भी प्राप्त हुए हैं। कोरोना के कारण आयी मंदी शताब्दी की सबसे बड़ी मंदी बन गयी है।लोगों का घर गया,नौकरी गई,सब चला गया।  सरकार खाने को दे रही है,पर सिर्फ खाना ही सब कुछ नहीं होता है। लोगों को गेंहू, दाल के अतिरिक्त भी जीवन यापन के लिए बहुत कुछ चाहिए,तेल,नमक,सब्जी, दवाई और बहुत कुछ।ऐसे हालात में ह्रदय द्रवित करने वाली खबरें भी बढ़ने लगी हैं। 'गरीबी' से 'हारा गरीब' अपना जीवन समाप्त करने लगा है। यह अत्यंत ही दुखद पहलू है। घर बार छोड़कर परदेश कमाने गए लोगों का भी बुरा हाल ह...