काशी तो गलियों और मंदिरों का शहर है ।हर गली में देवता-देवी परिवार सहित वास करते है।काशीवासी अपने देवताओं की सेवा में जीवन अर्पित कर देते हैं।पीढ़ियों से ऐसा चला आ रहा है।ये वो शहर है जहाँ धन्ना सेठ और गरीब एक ही दुकान पर खड़े होकर कचौड़ी जलेबी खाते हैं।कोई वीआईपी नही,कोई भेद भाव नही।कहा जाता है की जिसे जो चाहिए शाम होते होते मिल जाता है।कोई भूखा नही सोता। काशी वासियों को उनकी गालियां और मंदिर ही प्यारे है।सब अपने मे मस्त रहते हैं ।बाबा की सबपर विशेष कृपा है। दुनिया के सबसे पुराने जीवंत नगर को सहेजने के स्थान पर तोड़ना कहाँ तक उचित है। काशी के देवी-देवता गलियां चीख रही हैं,अपना अस्तित्व बचाने के लिए तड़प रही हैं। #मंदिर,#धरोहर क्यों तोड़े जा रहे हैं? काशी नगरी को विश्व धरोहर घोषित कराने की दिशा में पहल होनी चाहिये। न की प्राचीनतम शहर को उजाड़ने को हथौड़े और बुलडोजर का प्रबंध। #सरकार, कुछ करना है,दिखाना है,करने की कूबत है तो... नई काशी बना दीजिये गंगा मैया को बचा लीजिये और दुनिया को दिखाइए कितना सुंदर बनाया। फिर तुलना करिये... बाबा श्री भोलेनाथ की बसाई प्राचीन काशी से और अपने नय...
Editor - Daily Janwarta / www.janwarta.com. President - All India Journalist Association.